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धान खरीद

गेहूं की बुवाई हुई पूरी, सरकार ने की तैयारी, 15 मार्च से शुरू होगी खरीद

गेहूं की बुवाई हुई पूरी, सरकार ने की तैयारी, 15 मार्च से शुरू होगी खरीद

देश में महंगाई चरम पर है. सब्जी और दाल के साथ आटे के दाम भी आसमान छू रहे हैं. बढ़ी हुई महंगाई ने आम आदमी के बजट और जेब दोनों पर डाका डाल दिया है. इन बढ़े हुए दामों ने केंद्र सरकार को भी परेशान कर रखा है. वहीं बात महंगे गेहूं की करें तो, अब इसके दाम कम हो सकते हैं. आम जनता के लिए यह बड़ी राहत भरी खबर हो सकती है. देश में कई बड़े राज्यों में गेहूं की बुवाई का काम हो चुका है. बताया जा रहा है कि इस साल बुवाई रिकॉर्ड स्तर पर की गयी है. हालांकि भारत के बड़े हिस्से में गेहूं की बुवाई की जाती है. जिसके बाद केंद्र सरकार 15 मार्च से गेहूं खरीद का काम शुरू कर देगी. इसके अलावा इसे जमीनी स्तर पर परखने के लिए खाका भी तैयार किया जा रहा है.

आटे की कीमतों पर लगेगी लगाम

हाल ही में केंद्र सरकार ने गेहूं और आटे की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए खुले बाजार में लगभग तीस लाख टन गेहूं बेचने की योजना का ऐलान किया था. बता दें ई-नीलामी के तहत बेचे जाने वाले गेहूं को उठाने और फिर उसे आटा मार्केट में लाने के बाद उसकी कीमतों में कमी आना तय है.
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जानकारी के लिए बता दें कि, OMSS  नीति के तहत केंद्र सरकार FCI को खुले बाजार में पहले निर्धारित कीमतों पर अनाज खास तौर पर चावल और गेहूं बेचने की अनुमति देती है. सरकार के ऐसा करने का लक्ष्य मांग ज्यादा होने पर आपूर्ति को बढ़ाना है और खुले बाजार मनें कीमतों को कम करना है. भारत में गेहूं की पैदावार पिछले साल यानि की 2021 से 2022 में 10 करोड़ से भी ज्यादा टन था. गेहूं की पैदावार की कमी की राज्यों में अचानक बदले मौसम, गर्मी और बारिश की वजह से हुई. जिसके बाद गेहूं और गेहूं के आटे के दामों में उछाल आ गया.
इस राज्य में 24 लाख टन गेहूं की खरीद बढ़ी, क्या इससे किसानों को होगा फायदा

इस राज्य में 24 लाख टन गेहूं की खरीद बढ़ी, क्या इससे किसानों को होगा फायदा

पंजाब राज्य सरकार की तरफ से अंदाजा लगाया जा रहा है, कि प्रदेश में इस वर्ष विगत वर्ष के मुकाबले गेहूं की खरीद में इजाफा किया जाएगा। विगत वर्ष जहां आंकड़ा 96.47 करोड़ के करीब रहा था। इसबार वह आंकड़ा काफी ज्यादा रहेगा। भारत के बहुत सारे राज्यों में गेहूं कटाई चल रही है। किसान गेहूं को काटकर तत्काल मंडी लेकर पहुंच रहे हैं। किसान भाई सर्व प्रथम मौसम के रुझान को भांप रहा है। एक-दो दिन पूर्व आई बरसात ने गेहूं काट रहे किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है। उधर, केंद्र एवं राज्य सरकार भी गेहूं खरीद पर ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। केंद्र सरकार एजेंसियों के माध्यम से गेहूं खरीद का डाटा इकठ्ठा कर रही है। साथ ही, राज्य सरकार भी मंडी के स्तर से गेहूं के आंकड़ों की अपडेट ले रही हैं। खरीद केंद्रों पर किसानों को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत न हो सके। इसका भी विशेष रूप से ध्यान रखा जा रहा है। गेहूं खरीद को लेकर पंजाब से राहत भरा समाचार सुनने को सामने आया है। यहां गेहूं की धुआँधार खरीद होने का अंदाजा लगाया गया है। इससे यह बिल्कुल साफ है, कि किसान भी गेहूं बेचकर अच्छी-खासी आमदनी कर सकते हैं।

पंजाब में इतने करोड़ टन गेहूं की खरीद होने की संभावना

पंजाब की मंडियों में भी गेहूं पहुंचाया जा रहा है। अधिकारी भी गेहूं खरीदने में पूरी तेयारी से जुटे हुए हैं। फिलहाल, पंजाब सरकार के अधिकारी ने कहा है, कि मौजूदा रबी सत्र में गेहूं की खरीद काफी अच्छी होने की संभावना है। खरीद का आंकड़ा 1.2 करोड़ टन पहुंचने का अंदाजा है। जबकि विगत वर्ष गेहूं खरीद 96.47 लाख टन रही थी। लगभग 24 लाख टन का इजाफा दर्ज किया जा रहा है।

पंजाब में लगभग 14 लाख हेक्टेयर फसल को हुई हानि

पंजाब में मौसमिक अनियमितताओं के चलते बेमौसम हुई बारिश से तकरीबन 14 हैक्टेयर फसल पर काफी असर पड़ा है। वर्तमान में सांसद राघव चडढा की तरफ से भी प्रभावित किसानों की सहायता करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा था। प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने बताया है, कि राज्य में समकुल 34.90 लाख हेक्टेयर में फसल की बुआई की गई है, वहीं इसमें से 14 लाख हेक्टेयर फसल काफी प्रभावित हो चुकी है। जो कि अपने आप में एक बड़ा हिस्सा है। राज्य के कृषि विभाग द्वारा 47.24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अथवा 19 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत पैदावार की संभावना व्यक्त की गई है। इसी आधार पर आंकड़ा भी निकाला गया है।

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पंजाब के इन जनपदों को बेमौसम बारिश ने काफी प्रभावित किया है

ओलावृष्टि के साथ तीव्र हवाओं की वजह से पंजाब के मोगा, फाजिल्का, पटियाला और मुक्तसर सहित पंजाब के बहुत से अन्य इलाकों में भी गेंहू के साथ अन्य फसलें भी काफी प्रभावित हुई हैं। हालाँकि, सहूलियत की बात यह है, कि केंद्र सरकार की एजेंसियों के माध्यम से 18 फीसद तक भीगे, सिकुड़े और टूटे गेंहू के लिए छूट दे दी है। नतीजतन कृषकों को अत्यधिक हानि वहन नहीं करनी पड़ेगी। लेकिन, किसान भाइयों की यही अरदास है, कि गेंहू विक्रय से पूर्व बारिश ना हो जाए।
हरियाणा सरकार ने धान खरीदी को लेकर घोषणा की है, बाजरे के लिए कोई MSP निर्धारित नहीं की

हरियाणा सरकार ने धान खरीदी को लेकर घोषणा की है, बाजरे के लिए कोई MSP निर्धारित नहीं की

हरियाणा में बाजरे की सरकार द्वारा खरीद शुरू हो गई है। हैफेड (हरियाणा राज्य सहकारी आपूर्ति और विपणन संघ लिमिटेड) द्वारा सर्व प्रथम रेवाड़ी, कनीना, चरखी दादरी, भिवानी और कोसली की मंडियों में बाजरे की खरीद की जाएगी। वहीं, धान की सरकारी खरीद के लिए किसानों को थोड़ा इंतजार करना होगा। माना जा रहा है, कि 1 अक्टूबर तक धान की खरीद की जा सकती है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की तरफ से दिए गए निर्देश के उपरांत बाजरे की सरकारी खरीद चालू हो गई है। परंतु, किसानों को अब भी धान की सरकारी खरीद की प्रतीक्षा है। ऐसा माना जा रहा है, कि 1 अक्टूबर से धान की खरीद चालू हो सकती है। आपको बतादें, कि बाजरे की खरीद का भुगतान राज्य सरकार की भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत किया जाएगा। फसल की खरीद का पैसा 72 घंटे में सीधा किसानों के बैंक खातों में भेजा जाएगा। साथ ही, बेहतर और औसत क्वालिटी (FAQ) वाले बाजरे की खरीद प्रचलित बाजार दर पर होगी। साथ ही, यह खरीद उन किसानों से की जाएगी, जो मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्टर्ड और वेरीफाइड हैं।

भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत भुगतान किया जाएगा

किसानों को प्रचलित मंडी दर एवं एमएसपी (MSP) के अंतर का भुगतान राज्य सरकार की भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत किया जाएगा। फसल खरीद की धनराशि सीधे किसानों के बैंक एकांउट में भेजा जाएगा।

धान खरीदी एक अक्टूबर से शुरू हो सकती है

बाजरा के एमएसपी 2,500 रुपये की अपेक्षा 1,900 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिलेगा। निजी व्यापारियों द्वारा बासमती चावल की 1509 किस्म की दर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल की खरीद अब तक स्थिर बनी हुई है। परमल किस्म के धान की सरकारी खरीद अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक शुरू होने की संभावना है।

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जनपद की मंडियों में खरीद नहीं हो पा रही है

बाजार समिति के अधिकारी का कहना है, कि बाजारा और धान की खरीद का ऐलान 25 सिंतबर से शुरू होने के निर्देश दिए गए हैं। परंतु, सरकारी एजेसियों द्वारा अभी तक विभिन्न जिलों की मंडियों में प्रक्रिया तक चालू नहीं हुई है। बाजरे की खरीद 2,200 रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर निर्धारित की गई है। परंतु, निजी व्यापारियों द्वारा बाजरे की खरीद 1,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर की जा रही है।

किसान को 300 रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है

कमीशन एजेंट एसोसिएशन के पदाधिकारी गौरव तेवतिया ने खरीफ फसल की खरीद में हो रहे विलंभ पर अधिकारियों को दोषी ठहराया है। उनका कहना है, कि बाजरे की खरीदी के लिए किसी आधिकारिक एजेंसी का चयन नहीं किया गया है। इससे किसानों को प्रति क्विंटल 300 रुपये की हानि हो रही है। साथ ही, अब किसानों को भी विश्वास नहीं है, कि भावांतर भरपाई योजना के जरिए से हो रही हानि की भरपाई की जाएगी अथवा नहीं।

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बाजरा इस कारण से कम कीमत पर बिकेगा

फसल बिक्री के लिए जो सरकारी पोर्टल में रजिस्ट्रेशन प्रणाली 888999 है उसमें गड़बड़ी है। वहीं, अब तक केवल 35 फीसद ही धान उत्पादक किसान पंजीकृत हो पाए हैं। इससे यह संभावना है, कि ज्यादातर लोग बाजरा एवं धान एमएसपी से नीचे कम भाव में बेचेंगे। मंडियों में तकरीबन 2,200 क्विंटल बाजरा, 5,400 गांठ कपास और 20,000 क्विंटल से ज्यादा बासमती धान की आवक हुई है।
धान खरीद के सरकारी आंकड़े और जमीनी हकीकत

धान खरीद के सरकारी आंकड़े और जमीनी हकीकत

पिछले साल 17.7 लाख मीट्रिक टन की तुलना में इस साल 08.10.2020 तक सभी राज्यों में धान की कुल खरीद 48 प्रतिशत बढ़ कर 26.3 लाख मीट्रिक टन हुई। सरकारी आंकड़ों की बाजीगरी निराली है। धान की खरीद के मामले में उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में ऊंट के मुंह में जीरा जैसी खरीद भी नजर नहीं आ रही है, लेकिन सरकारी अमला 10 अक्टूबर तक पिछले साल के मुकाबले 48% ज्यादा खरीद के दावे कर रहा  है। भारत के सभी राज्यों में पिछले साल के 17.7 लाख मीट्रिक टन से 48 प्रतिशत बढ़कर धान की कुल खरीद इस साल 08.10.2020 तक, 26.3 लाख मीट्रिक टन हो गई है। चालू खरीफ सीज़न में पंजाब में पिछले वर्ष 1.76 लाख मीट्रिक टन की तुलना में इस साल  08.10.2020 तक 15.99 लाख मीट्रिक टन की अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है जो पिछले वर्ष की तुलना में अब तक खरीफ़ की खरीद का 900 प्रतिशत से अधिक है।

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चालू खरीफ सीज़न के दौरान तमिलनाडु में 08.10.2019 तक 320 मीट्रिक टन के मुकाबले धान की खरीद 9517 मीट्रिक टन थी। इसी तरह, उत्तर प्रदेश में केएमएस 2020-21 में अब तक धान की खरीद इस साल 4423 मीट्रिक टन रही है जबकि पिछले साल 8 अक्टूबर को 92 मीट्रिक टन थी। इस प्रकार दोनों राज्यों के खरीद में महत्वपूर्ण उछाल देखा गया है।
धान की उन्नत किस्में अपनाकर छत्तीसगढ़ के किसान हो रहे मजबूत

धान की उन्नत किस्में अपनाकर छत्तीसगढ़ के किसान हो रहे मजबूत

रायपुर। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है। यहां धान फसल के लिए अनुकूल वातावरण होने के कारण किसान साल में दो बार धान की फसल लगाते हैं, जो सदियों से उनकी आय का एक बहुत बड़ा साधन बना हुआ। वहीं नई तकनीकों के उपयोग ने भी धान फसल की पैदावार बढ़ाने में काफी अहम भूमिका निभाई है। यदि बात करें अच्छी किस्मों की तो यहां जवा फूल, दुबराज, विष्णु भोग, लुचई, देव भोग, कालीमूज, बासमती के अलावा कुछ ऐसी किस्में हैं, जिनसे किसान ज्यादा आय अर्जित कर रहे हैं। वहीं रायपुर में स्थित इंदिरा गांधी कृषि महाविद्यालय ने धान की नई-कई किस्मों की खोज की है, जिसको अपनाकर छत्तीसगढ़ के किसान समृद्धि की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं। दूसरी ओर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं का लाभ भी किसान बखूबी उठा रहे हैं और अपने सपनों को पंख लगा रहे हैं।

रोज सामने आ रही आत्मनिर्भरता की कहानी

कभी नक्सली और पिछड़े राज्यों में शुमार छत्तीसगढ़ आज खेती-किसानी के मामले में देश में सिरमौर बना हुआ है। यहां के किसान इतने आत्मनिर्भर हो चुके हैं कि उन्हें अब अपने भविष्य की चिंता कम ही सताती है। वहीं सरकार की ऋण माफी और बोनस जैसी योजनाओं के कारण भी यहां के किसान खेती की ओर और आकर्षित हुए हैं, जिनके आत्मनिर्भर बनने की कहानी अक्सर सामने आती रहती है। कई किसान तो ऐसे थे जिनकी हालत काफी खराब थी, पर धान की उन्नत किस्म अपनाकर उन्होंने न केवल अपना जीवन सुधारा, बल्कि एक प्रकार से राज्य में खेती किसानी का प्रचार-प्रसार कर जो लोग खेती किसानी छोड़ने का मन बना चुके थे, उन्हें फिर से खेती करने के लिए प्रोत्साहित भी किया।


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नर-नारी धान अपनाकर समृद्ध बन रहे किसान

वहीं छत्तीसगढ़ में एक ऐसी धान की किस्म भी है जिसको अपनाकर किसान अधिक मुनाफा कमा रह हैं। इस किस्म का नाम नर-नारी धान है। धान की इस किस्म को अपनाकर किसान एक एकड़ में एक लाख रुपए तक का फायदा ले रहे हैं। शायद आप में से कईयों ने धान की इस किस्म के बारे में न सुना हो, लेकिन यह काफी मुनाफे की फसल है। इसमें नर व मादा पौधों को खेत में ही क्रास यानी पूरक परागण कराया जाता है। इस दौरान नर पौधों का पराग मादा पौधे में जाता है, जिससे बीज बनता है और इसी से धान के पौधे तैयार किये जाते हैं। धान की इस किस्म की खासियत ये हैं, कि इसकी एक एकड़ खेती में 10 से 15 क्विंटल की पैदावार होती है। धान के इस बीज की मांग मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में ज्यादा है। छत्तीसगढ़ के किसान भाई इस किस्म को लगाकर तगड़ा मुनाफा ले रहे हैं।

महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में भी बढ़ी मांग

नर-नारी धान की खासियत है कि यदि आप एक एकड़ में इस धान की बुवाई करते हैं, तो एक एकड़ में 15 क्विंटल धान होता है. प्रति क्विंटल धान की कीमत लगभग 9 हजार रुपए है. यानी एक एकड़ के खेत में आपको 1.35 लाख रुपए मिल जाते हैं. छत्तीसगढ़ के धमतरी, बालोद व दुर्ग जिले में किसान इस किस्म का धान उगा रहे हैं। धमतरी में 5 हजार एकड़ से ज्यादा में इस तरह की धान की खेती की जा रही है। रायपुर में धीरे-धीरे इसका रकबा बढ़ने लगा है। नर-नारी धान का परागण करने के लिए रस्सी या बांस का सहारा लिया जाता है। दो कतार में नर व 6-8 कतारों में मादा पौधे होते हैं। इन्हें सीड पैरेंट्स भी कहा जाता है। इसकी रोपाई का तरीका दूसरी किस्मों से बिल्कुल अलग है। इसके पौधे को रोपाई से तैयार किया जाता है। बोनी या लाईचोपी पद्धति से इस धान का उत्पादन संभव नहीं है। पादप प्रजननन विभाग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के एचओडी डॉ. दीपक शर्मा ने कहा कि नर-मादा धान की किस्म से किसानों को अच्छा फायदा हो रहा है। इसका रकबा बढ़ रहा है। ये हाइब्रिड धान है जिसका बीज बनता है।


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छत्तीसगढ़ में साल दर साल धान खरीदी का नया रिकॉर्ड बन रहा

छत्तीसगढ़ में साल दर साल धान खरीदी का नया रिकॉर्ड बन रहा है। सरकार की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक छत्तीसगढ़ के किसानों ने वर्ष 2021-21 में किसानों ने सरकार को धान बेचकर करीब 20 हजार करोड़ रुपये कमाए हैं। दूसरी ओर राज्य सरकार का दावा भी है कि अब खेती-किसानी छत्तीसगढ़ में लाभकारी व्यवसाय बन गया है। आंकड़ों के मुताबिक चालू खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में धान की रिकॉर्ड खरीदी की गई है। इस साल 21.77 लाख किसानों से करीब 98 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया है। इसके एवज में किसानों को करीब 20 हजार करोड़ रुपयों का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किए जाने का दावा किया गया है।

सुगंधित धान की वैज्ञानिकों ने सहेजी किस्में

वहीं दूसरी ओर छग में जिस धान की मांग ज्यादा बढ़ रही है और सरकार जिस धान को ज्यादा महत्व दे रही है वैसे-वैसे यहां से कुछ धान की किस्में विलुप्त होती जा रही हैं और कुछ तो विलुप्ति की कगार पर भी पहुंच गई थी ऐसे में इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी ने किसानों के साथ मिलकर इन्हें सहेजा। कृषि विज्ञान केंद्रों ने भी इस काम में पूरी मदद की। महज 10-15 साल पहले तक जवा फूल, दुबराज, विष्णु भोग, लुचई जैसी सुगंधित धान की किस्में राज्य की पहचान थी। हालांकि किसानों को इनकी पैदावार से लाभ नहीं हो रहा था। धीरे-धीरे स्वर्णा, एमटीयू 1010 जैसी किस्मों को सरकार समर्थन मूल्य पर खरीदने लगी। ऐसे सुगंधित धान की कई वैरायटी विलुप्ति की कगार पर पहुंच गई। कई गांवों से तो ये गायब ही हो गई। कुछ किसान अपने उपयोग के लिए सीमित क्षेत्र में उगा रहे थे, लेकिन उनकी संख्या व एरिया सीमित था। इसे गंभीरता से लेते हुए चार साल पहले इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी रायपुर ने इन्हें सहेजने का बीड़ा उठाया और इन किस्मों को सहेजने में कड़ी भूमिका निभाई। कृषि वैज्ञानिकों ने छत्तीसगढ़ के अलग-अलग इलाकों में जाकर न सिर्फ इन किस्मों को ढूंढा बल्कि उन्हें सहेजने में भी बड़ी भूमिका निभाई।

कृषि के क्षेत्र में छग को मिले कई पुरस्कार

धान की अलग-अलग प्रकार के पैदावार के लिए जाने जाने वाले छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। छत्तीसगढ़ को उन्नत कृषि प्रबंधन और किसानों के लिए बनाई गई योजनाओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई वर्गो में सम्मानित किया जा चुका है। छत्तीसगढ़ को कई राष्ट्रीय अवार्ड भी अब तक मिल चुके हैं, जिससे विश्व पटल पर छत्तीसगढ़ एक सितारे के रूप में चमक और दमक रहा है।
हरियाणा में धान खरीद की तारीख बढ़ सकती है आगे, पहले 1 अक्टूबर से होनी थी खरीदी

हरियाणा में धान खरीद की तारीख बढ़ सकती है आगे, पहले 1 अक्टूबर से होनी थी खरीदी

खरीफ का सीजन चल रहा है, धान की फसल लगभग तैयार होने को है कुछ ही दिनों में धान की कटाई शुरू हो जाएगी, जिसके बाद मंडियों में धान की आवक शुरू हो जाएगी, इसको लेकर हरियाणा सरकार अलर्ट पर है। सरकार ने जल्द ही धान खरीद प्रक्रिया की शुरुआत करने के लिए कहा था, इसके लिए हरियाणा सरकार ने 1 अक्टूबर की तारीख तय की थी जब से राज्य में धान की खरीदी प्रारम्भ की जाएगी। लेकिन राज्य के कृषि व किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने हाल ही में संकेत दिए हैं कि राज्य सरकार धान की खरीदी को आगे बढ़ा सकती है। हरियाणा के कृषि व किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पिछले साल हमने धान की खरीदी बहुत जल्दी प्रारम्भ कर दी थी। उस दौरान हमने धान की खरीदारी 25 सितम्बर से प्रारम्भ कर दी थी, क्योंकि पिछले साल फसल जल्दी तैयार हो गई थी। लेकिन इस साल ऐसा नहीं है। धान की खरीद में नमी की उपस्थित एक बहुत बड़ा मुद्दा होता है। फसल ख़रीदते समय हमें नमी के स्तर को भी ध्यान में रखना होगा। ज्यादा नमी वाली धान की फसल खरीदने योग्य नहीं होती है। उसके खराब होने की संभावना बरकरार रहती है। जब फसल पूरी तरह से सूख जाएगी, तभी से राज्य में धान की खरीदी प्रारम्भ की जा सकती है। ये भी पढ़े: हरियाणा में बाजरा-धान खरीद की तैयारी पूरी पूर्व मुख्यममंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने धान में खरीदी की देरी को लेकर राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया है, उन्होंने कहा है कि राज्य की मंडियों में धान की आवक शुरू हो चुकी है, इसलिए राज्य सरकार का यह कर्त्तव्य है कि सरकार समय से धान की खरीददारी प्रारम्भ करे। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार को 20 सितंबर से धान की खरीदी प्रारम्भ कर देनी चाहिए। पूर्व मुख्यममंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के सुर में सुर मिलाते हुए मंडी आढ़तियों ने सरकार से 15 सितंबर से धान खरीदी प्रारंभ करने की गुजारिश की है, जो अभी शुरू नहीं हो पाई है। इन सबको दरकिनार करते हुए सरकार ने धान खरीदी के लिए 1 अक्टूबर की तारीख नियत की है, जिसे आगे बढ़ाया जा सकता है। धान की खरीदी में लेट लतीफी को देखते हुए हरियाणा के मंडी आढ़तियों ने 19 सितंंबर को हड़ताल घोषित करने की मांग की है। इसकी जानकारी पहले ही सार्वजनिक कर दी गई है। हरियाणा राज्य अनाज मंडी आढ़तियों एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक गुप्ता ने बताया है कि मंडी आढ़तियों के प्रति राज्य सरकार की गलत नीतियों और ई-नाम पोर्टल पर बासमती व्यापार तथा धान की ऑनलाइन खरीद के विरोध में पूरे राज्य के सभी आढ़तिये 19 सितंंबर को हड़ताल पर जाएंगे। अशोक गुप्ता ने कहा कि राज्य में किसानों के भुगतान के लिए दो माध्यम होना चाहिए। यदि किसान चाहता है कि उसके अनाज के बदले एजेंसियां सीधे उसको भुगतान करें, तो एजेंसियां कर सकती हैं। लेकिन यदि किसान चाहता है कि उसके अनाज खरीद के बदले आढ़तिये किसान को भुगतान करें, तो इसकी परमिशन सरकार को आढ़तियों को देना चाहिए।
छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा १ नवंबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ११० लाख मीट्रिक टन खरीदी जाएगी धान

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा १ नवंबर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ११० लाख मीट्रिक टन खरीदी जाएगी धान

इस बार छत्तीसगढ़ प्रदेश के पंजीकृत किसानों से 110 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही ट्वीट में बताया गया है कि चालू खरीफ विपणन साल के लिए अब तक २४ लाख ६२ हजार किसानों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए यह अच्छी खुशखबरी है, क्योंकि राज्य सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान की खरीद करने की घोषणा की है। मुख्य बात यह है कि १ नवंबर से धान की खरीद प्रारंभ होगी, इसके साथ ही प्रदेश सरकार किसानों से एमएसपी पर मक्का की खरीद भी करेगी। वहीं, किसानों ने एमएसपी पर धान बेचने के लिए पंजीयन करवाना आरम्भ कर दिया है। रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख ३१ अक्टूबर है, जबकि राज्य में १७ अक्टूबर से ही उड़द, अरहर एवं मूँग समेत कई दलहनी फसलों की खरीद एमएसपी पर प्रारम्भ हो चुकी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने ट्वीट कर कहा है कि राज्योत्सव के चलते ही एक नवम्बर से धान खरीद प्रक्रिया प्रारम्भ हो जायेगी। इस बार प्रदेश के पंजीकृत किसानों से ११० लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया है। साथ ही, ट्वीट में कहा है कि चालू खरीफ विपणन साल के लिए अब तक २४ लाख ६२ हजार किसानों का रजिस्ट्रेशन संपन्न भी हो चुका है। साथ ही, जो किसान अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाए हैं, वह धान को बेचने के लिये एकीकृत किसान पोर्टल kisan.cg.nic.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन करवा लें। मुख्यतय बात यह है कि खरीफ वर्ष २०२१-२२ में धान को एमएसपी पर बेचने वाले पंजीकृत किसानों को पुनः पंजीयन कराने की आवश्यकता नहीं होगी।

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छत्तीसगढ़ सरकार इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदेगी मक्का की फसल

छत्तीसगढ़ राज्य में १ नवंबर से धान के साथ-साथ मक्के को भी एमएसपी पर खरीदे जाने की घोषणा की गयी है। मक्का को एमएसपी पर बेचने वाले किसान भी एकीकृत किसान पोर्टल kisan.cg.nic.in पर समस्त जरुरी कागजातों के साथ आवेदन कर सकते हैं। हालाँकि, छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा किसानों को आवेदन एवं पंजीयन समेत और भी जानकारियां के लिए एकीकृत किसान पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिसको किसानों के खेत व फसल बुवाई के रकबे का सत्यापन हेतु भुइयाँ पोर्टल (bhuiyan portal) से भी जोड़ा जायेगा। वहीं, छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्य सचिव अमिताभ जैन द्वारा शुक्रवार को धान खरीदी समेत कल्याणकारी व महत्वपूर्ण योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा भी की गयी। इस दौरान उन्होंने कस्टम मिलिंग, समितियों से धान परिवहन की व्यवस्था सहित इस खरीफ सीजन में धान खरीदी के सन्दर्भ में अन्य महत्वपूर्ण व्यवस्थाओं के सम्बंध में भी दिशा निर्देश जारी किए हैं।
धान की महाखरीद, 48 घंटे के भीतर करोड़ों का भुगतान

धान की महाखरीद, 48 घंटे के भीतर करोड़ों का भुगतान

धान खरीद को ले कर हर साल ऐसी खबरें आती रही हैं, कि अमुक राज्य में किसानों की धान खरीद नहीं हो पाई, इस वजह से उन्हें नुकसान हो गया। लेकिन, दूसरी तरफ एक ऐसा राज्य भी है, जहां धान खरीद के रिकार्ड बन रहे हैं, जी हां, वह राज्य है छत्तीसगढ़। इस राज्य में नवंबर महीने की शुरुआत से ही धान खरीद का महाभियान चलाया जा रहा है। यह महाभियान अगले साल के 31 जनवरी तक चलेगा। धान का जो न्यूनतम समर्थन मूल्य है, उस पर राज्य सरकार ने अभी तक एक लाख दस हजार मीट्रिक से अधिक टन धान खरीद लिया है। इसके एवज में 37,641 से अधिक किसान अपने बैंक खाते में 295.65 करोड़ का भुगतान पा चुके हैं। राज्य सरकार धान खरीद के 48 घंटों के भीतर ही भुगतान राशि किसानों के बैंक खाते में भेज दिया जा रहा है। राज्य सरकार धान खरीद के लिए एक नया तरीका अपना रही है। सरकार की तरफ से किसानों को एक टोकन दिया जाता है, जिसे टोकन तुंहर हाथ नाम के एक अप्लिकेशन से किसानों के मोबाइल पर भेज दिया जाता है।

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अभी तक की खबर के अनुसार, छत्तीसगढ़ में ऐसे 16,589 टोकन जारी किए जा चुके हैं। जाहिर है, इतनी शानदार और पारदर्शी व्यवस्था के कारण इस साल धान खरीद को ले कर आने वाली शिकायतों में भी कमी आई है। धान की तेज खरीद और उठाव के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने 720 राईस मिलरों से कान्ट्रेक्ट भी किया है। राज्य सरकार ने अपनी तरफ से राईस मिलर्स को 7.93 लाख मीट्रिक टन धान कुटाई के लिए कहा है। जाहिर है, इतनी तेजी से काम होने का नतीजा भी सकारात्मक होगा। राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, सरकार ने करीब 110 लाख मीट्रिक धान खरीद का लक्ष्य रखा था, जो पूरा हो चुका है। इसके अलावा धान खरीद का काम अभी भी जारी है, तो जाहिर है कि राज्य सरकार इस बार अपने लक्ष्य से अधिक धान खरीदने जा रही है। ऐसे में, किसानों की बल्ले-बल्ले ही है, लेकिन यह भी सच है कि अन्य राज्य सरकारों को भी इस मॉडल से सीख लेने की जरूरत है। बिहार जैसे राज्य में हर साल पैक्स के माध्यम से यह काम किया जाता है और हर साल ऐसी शिकायतें आती हैं, कि ज्यादातर किसानों के धान पैक्स गोदाम तक पहुँच कर भी खरीदे नहीं जा सके। ऐसे में उन किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
इस राज्य ने लगभग हासिल किया अपना धान खरीदी का लक्ष्य

इस राज्य ने लगभग हासिल किया अपना धान खरीदी का लक्ष्य

छत्तीसगढ़ राज्य ने धान खरीदी का लक्ष्य तकरीबन सापेक्ष कर लिया गया है। राज्य सरकार द्वारा कृषकों के खातों में धनराशि हस्तांतरित करदी है। अपैक्स बैंक किसानों के खाते में 22 हजार करोड़ रुपये की धनराशि भेजेगा। भारत के ज्यादातर राज्यों में धान खरीद पूर्ण कर ली गई है। परंतु, उत्तर प्रदेश, बिहार में धान खरीदी की रफ्तार काफी धीमी दिखाई दे रही है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया है, कि किसी भी स्तर से कृषकों को दिक्कत परेशानी न होने पाए। साथ ही, राज्य सरकार के स्तर से किसानों के खाते में एमएसपी (MSP) पर धान खरीदी की धनराशि भी उनके खातों में निर्धारित समय पर हस्तांतरित की जा रही है। किसानों को अपनी धनराशि पाने हेतु इधर से उधर न भटकना पड़े। किसानों के आधार लिंक्ड खातों में ही पैसा हस्तांतरित किया जा रहा है।

अपैक्स के जरिए किसानों के खातों में 22 हजार करोड़ रुपये भेजे जाएंगे

छत्तीसगढ़ राज्य में 1 नवंबर से धान खरीदी आरंभ कर दी गई थी। 31 जनवरी तक धान खरीदी का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। 31 जनवरी निकल गई है। राज्य सरकार द्वारा तकरीबन धान खरीद पूर्ण हो गई है। साथ ही, किसानों के समक्ष चुनौती रहती है, कि धान खरीद के उपरांत में धन प्राप्त हो पा रहा है, कि नहीं हो रहा है। धान खरीद की धनराशि का भुगतान करने हेतु मार्क फेड द्वारा अपैक्स बैंक के लिए 22 हजार करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। जिन किसानों को धान खरीद की भुगतान धनराशि अभी तक प्राप्त नहीं हुई है। इस धनराशि को उन्ही किसानों के खाते में हस्तांतरित किया जाएगा।
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धान खरीदी लगभग लक्ष्य के समीप पहुँच गई है

छत्तीसगढ़ सरकार ने धान खरीद का लक्ष्य 31 जनवरी तक 110 लाख मीट्रिक टन निर्धारित किया था। प्रदेश में 30 जनवरी तक धान खरीद का जो रिकॉर्ड देखने को मिला है। उसी आधार पर राज्य में धान खरीदी के विगत समस्त रिकॉर्ड को तोड़ कर प्रदेश में 30 जनवरी तक 107 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की जा चुकी है। आपको बतादें कि यह धान खरीदी प्रदेश के 23.39 लाख किसानों से की गई है।

धान का 96 लाख मीट्रिक टन उठान का डीओ जारी

प्रदेश सरकार धान खरीद लेती हैं। परंतु, खपत एवं उसके सुरक्षित भंडारण हेतु उसका उठान भी करना अति आवश्यक रहता है। इसी बीच कस्टम मिलिंग हेतु धान का उठान आरंभ किया जा चुका है। 107 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी में से तकरीबन 96 लाख मीट्रिक टन धान उठान हेतु डीओ जारी कर दिया गया है। इसके सापेक्ष मिलर्स द्वारा 89 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान का उठान कर लिया गया है। साथ ही, प्रदेश में इस वर्ष धान खरीदी हेतु 24.98 लाख किसानों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। जिसके अंतर्गत 2.32 लाख नवीन कृषक भाई शम्मिलित रहे हैं। प्रदेश में सामान्य धान 2040 रुपये प्रति क्विंटल एवं ग्रेड-ए धान 2060 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा गया है।
फसलों पर बरपा कहर, सरकार देगी इतना मुआवजा

फसलों पर बरपा कहर, सरकार देगी इतना मुआवजा

देश में किसानों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट गया है. जहां एक तरफ बीते खरीफ के सीजन में जमकर हुई बारिश, बाढ़ और सूखे की वजह से फसलें बर्बाद हो गयी थीं वहीं दूसरी तरफ एक बार फिर जनवरी और फरवरी में हुई बारिश और ओलावृष्टि ने फसलों को तबाह करके रख दिया है. कई राज्यों में फसलों की बर्बादी के बाद तमिलनाडु के खराब हालात सामने आ रहे हैं. जहां एक बड़े हिस्से में तेज बारिश की वजह से फसलें खराब हो गयीं. जिसके बाद बेबस और लाचार किसानों की मदद के लिए राज्य सरकार ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया है.

प्रति हेक्टेयर सरकार देगी इतना मुआवजा

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने किसानों की मदद के लिए कावेरी डेल्टा की प्रभावित हुई फसलों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है. जिसमें किसानों को 20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का राहत पैकेज दिया जाएगा. यह मुआवजा उन किसानों को दिया जाएगा, जिनकी फसलें कावेरी डेल्टा से सबसे ज्यादा और बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं.

किसानों ने किया शुक्रिया

किसानों ने राज्य सरकार की इस मदद का आभार जताते हुए कहा कि, सरकार का यह कदम हमारे जख्मों पर मरहम की तरह है. ये भी देखें: ठंड़ और पाले की वजह से बर्बाद हुई फसल का मुआवजा मांगने के लिए हरियाणा के किसान दे रहे धरना

विभागीय स्तर से होगा फसल सर्वे

राज्य सरकार किसानों को मुआवजा देने के लिए फसलों का सर्वे करवाएगी. यह सर्वे विभागीय स्तर पर किया जाएगा. इसके अलावा राज्य सरकार ने यह भी निर्देश दिए हैं कि, कृषि विभाग और राजस्व इस नुकसान का मिलकर आकलन करे. इसके अलावा अगर बीमा को लेकर पहले सर्वे का काम पूरा हो गया तो बचा हुआ मूल्यांकन करवाया जाएगा. साथ ही राज्य सरकार की यही कोशिश है कि, कोई भी पीड़ित किसान मुआवजे से वंचित ना रहा जाए.

6 लाख हेक्टेयर से ज्यादा फसलें बर्बाद

पिछले कुछ दिनों में तमिलनाडु में मूसलाधार बारिश हुई. जिससे राज्य के कई अहम क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुए. बारिश इतनी तेज थी कि, वो अपने तेज बहाव में फसलें भी लेकर बह गयी. जिसमें कावेरी डेल्टा का क्षेत्र बारिश की चपेट में सबसे ज्यादा आया. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस क्षेत्र में ल्ह्बह्ग 6 लाख हेक्टेयर से जायदा फसलें बर्बाद हुई हैं. ज्सिके बाद राज्य सरकार ने राहत राशि का ऐलान करते हुए मदद का हाथ आगे बढ़ाया है.
इस राज्य में गेंहू खरीदी के लिए 5900 खरीद केंद्र बनाए, MSP पर खरीदा जाएगा 60 लाख मीट्रिक टन गेंहू

इस राज्य में गेंहू खरीदी के लिए 5900 खरीद केंद्र बनाए, MSP पर खरीदा जाएगा 60 लाख मीट्रिक टन गेंहू

भारत के विभिन्न राज्यों में गेहूं खरीद चालू की जा चुकी है। उत्तर प्रदेश में 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जाएगा। साथ ही, गेंहू खरीदी हेतु 5900 खरीद केंद्र निर्मित किए गए हैं। भारत में गेहूं की कटाई काफी तीव्रता से कर दी गई है। जिन किसानों का गेहूं जैसे-जैसे कटता जा रहा है। वह मौसम के रुख को देखते हुए उनको विक्रय हेतु मंडी लेकर पहुंच रहा है। ज्यादातर राज्यों में गेहं खरीद की पहल चालू कर दी गई है। जिन राज्यों के अंतर्गत अब तक गेहूं खरीदी चालू नहीं हुई है। वहां तैयारियां चालू की जा चुकी हैं। इन्ही राज्यों में उत्तर प्रदेश भी शामिल हैं। बतादें, कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार गेहूं खरीद की तैयारियां काफी तेज कर दी गई हैं। मुख्यमंत्री के सख्त निर्देश हैं, कि किसी भी स्थिति में मंडी में किसान भाइयों को किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए।

उत्तर प्रदेश में 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित

उत्तर प्रदेश के अंदर लाखों की तादाद में किसान गेहूं का उत्पादन किया करते हैं। सीजन में लाखों टन गेहूं का मंडी में विक्रय किया जाता है। गेहूं उत्पादन के संबंध में उत्तर प्रदेश काफी बड़ा प्रदेश है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा फिलहाल गेहूं खरीद नीति 2023- 24 को स्वीकृति दी जा चुकी है। इस सीजन में किसान 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदी करेगी। इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,125 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है। 

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उत्तर प्रदेश में गेंहू खरीदी के लिए 5900 क्रय केंद्र स्थापित किए हैं

किसान भाइयों को गेहूं खरीदने में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। जिसके लिए राज्य में कुल 5,900 क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं। क्रय केंद्रों पर किसान हेल्प डेस्क सहित समस्त सुविधाएं उपलब्ध हैं। प्रदेश सरकार पूर्व से ही रबी सीजन 2023- 24 के लिए 2,125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदी की घोषणा पूर्व में ही कर दी थी। जिसके मन्देनजर कैबिनेट द्वारा फिलहाल इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। अब राज्य सरकार द्वारा समस्त जनपदों में गेहूं खरीद संबंधित आदेश जारी कर दिए हैं। 

प्रत्येक जनपद में डीएम बने नोडल अधिकारी

राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया है, कि गेहूं खरीद में लघु कृषकों का ज्यादा ध्यान रखा गया है। दरअसल, 60 क्विंटल से कम गेहूं विक्रय करने वाले कृषकों को खरीद में ज्यादा महत्व दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से संभागीय आयुक्तों को अपने संभालकों हेतु नोडल अधिकारी बनाया है। डीएम को स्वयं के स्तर से जनपद को नोडल अफसर बनाया है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से 1 अप्रैल से गेहूं खरीद चालू की जा चुकी है।